बाबासाहब आंबेडकर जीकी अभ्यास पद्धती:-

बाबासाहब आंबेडकर जीकी अभ्यास पद्धती:-
दोस्तों, इस देश के या पिछले सदी के पुरे विश्व में सबसे बुद्धिमान पुरुष डॉ. बाबासाहब आंबेडकर जीको चुना गया| आज हम उनकी अभ्यास पद्धती का अभ्यास करेंगे|
बचपन में भीमराव को अभ्यास करने में दिलचस्पी नहीं थी| पिता रामजी जबरदस्ती उनसे अभ्यास करवाते थे| लेकिन, भीमा हमेशा पास होता थे| दसवी पास होने वाले वे महार समाज के पहले व्यक्ती थे| इसके बाद उन्हें पढाई में दिलचस्पी पैदा हुई| वे अभ्यास के लिए विलायत गए थे| वे हमेशा टेबल पर किताब रखकर और खुर्ची पर बैठ करही पढाई करते थे| उनके हाथ में हमेशा एक पेन रहती थी| वे हमेशा एक विषय पढ़ने के लिए अनेक संदर्भ ग्रंथ साथ लेकर बैठते थे| आवश्यक दिखे लाइन पर रेखांकित करते थे| फिर विषय की पूरी जानकारी होने बाद वे अपनी भाषा में एक वही में टिपण्णी लिखते थे|
इसी तरह बाबासाहब जीने अपनी जिंदगी में १००००० से ज्यादा किताबे पढ़ी है| उन्होंने सिर्फ किताबो के लिए राजगृह का निर्माण किया था| अगर आज भी आप इसे भेट देंगे तो इस लाइब्रेरी में हर विषय के किताबो के लिए अलग कपाट दिखेगा| अगर आप कोई भी किताब निकालके देखेंगे तो हर किताब में हर लाइन के निचे रेखांकित किया हुआ दिखेगा| अगर बाबासाहब जीको एखादा विषय समज नहीं आया तो वे उसे बार बार पढ़ते थे| ऐसाही किताबो पर भी बार बार रेखांकित किया हुआ देख सकते है|
उन्होंने अपने जिंदगी में ६० से ज्यादा किताब लिखी है| एक पिछड़ी जाती में पैदा हुआ एक बच्चा इतने आगे जाकर इस देश का संविधान लिखेगा ये किसी सपना देखनेसे कम नहीं लगता| कितना अदभुत व्यक्तिमत्त्व!
दोस्तों, कुछ ही महीने पहिले कोलंबिया विश्वविद्यालयने जारी किये हुए यदि के अनुसार अपने जिंदगी में सबसे ज्यादा वक्त किताबो के साथ बिताने वाले व्यक्ती में बाबासाहब जीको सम्मान मिला| मगर, इस देश के किसी भी मंत्री को वो सम्मान लेने के लिए वक्त नहीं मिला|
खैर, बाबासाहब जीकी अभ्यास पद्धति, उनका अभ्यास, उनके शोध हमेशा हर एक विद्यार्थी को प्रेरणा देते रहेंगे इस पर कोई शक नहीं|
जय भिम| जय प्रबुद्ध भारत|
लेख - अतुभ

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